ज़िंदादिल इंसान

15-05-2022

ज़िंदादिल इंसान

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 205, मई द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

ख़ुशनसीब हैं वो लोग
जो ख़ुशियाँ बाँटते हैं। 
 
मोहब्बत का राग और
मोहब्बत के गीत
सब को सुनाते हैं। 
 
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता उनको
कि लोग
उनको हँसाते हैं
या फिर रुलाते हैं। 
 
वो बस चेहरे पर
हल्की-हल्की मुस्कान लिए
ज़िन्दगी बिताते हैं। 
 
वो नहीं देखते
कि राह में फूल पड़े हैं
या फिर चुभते काँटे, 
वो बस
मस्ती के आलम में खोए, 
काँटों को भी
फूल समझ निकल जाते हैं। 

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