नई मोहब्बत

15-10-2022

नई मोहब्बत

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 215, अक्टूबर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

जो चेहरे पर
नक़ाब लिए फिरते हैं
अक़्सर वही मोहब्बत के
आसार लिए फिरते हैं। 
 
बोलना है तो
कुछ बोलिए जनाब
क्यों ऐसे चेहरे पर
मुस्कान लिए फिरते हैं। 
 
लबों से लब
जोड़ ही लिए हैं तो
बोलिए कुछ जनाब
क्यों आँखों के
इशारे किए फिरते हैं। 
 
लिखना है तो लिखिए
हमें अपनी पलकों पर जनाब
क्यों निगाहों से हमें
चीर दिया करते हैं। 

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