बचपन की कहानी

15-11-2021

बचपन की कहानी

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 193, नवम्बर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

आओ तुम्हें सुनाता हूँ
बचपन की कहानी,
वहाँ भी होती थी दिल्लगी
और साथ ही होती थी
हर दिन एक नई कहानी।
 
रूठना मनाना
आए दिन ही चलता था।
पर नहीं थी मन में
कोई छल कपट की कहानी।
 
हर रोज़ हम सब
लड़ते और झगड़ते थे
पर नहीं थी दिल में कोई
ख़ूनी दरिंदों जैसी
दुश्मनी की कोई कहानी।
 
माँ की गोद थी
जिसपे रखकर सिर
मिलती थी नित्य ही
सुनने को एक प्यारी सी कहानी।

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