रहने दो

15-11-2022

रहने दो

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 217, नवम्बर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

कुछ ख़्वाब कुछ यादें
मुझ में रहने दो
न मिल सको तो न मिलो
ख़ुद को मुझ में ही रहने दो। 
 
बीता हुआ वक़्त और
बीती हुई बातें
कभी लौट कर नहीं आती, 
मगर फिर भी
उन यादों को
मुझ में सिमटे रहने दो। 
 
जो भूल चुका है
उसे भुलाने दो
फिर भी तुम
अतीत में बिखरी हुई
भूली हुई यादों को
मुझ ही में रहने दो। 

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