सम्मान

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 210, अगस्त प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

हृदय को न पाषाण कर
इसमें मानवता का भी
कुछ सम्मान कर। 
 
जो मिट चुका है
उसको मिटने दे, 
नवीन आते
ज्ञानधारा के स्रोत का
कुछ सम्मान कर। 
 
भूमंडल के भूतल पर
न किसी का अपमान कर, 
अपनों के साथ-साथ
परायों का भी
हृदय से सम्मान कर। 
 
आग़ाज़ अगाध उड़ते
परिंदों पर तो
सब मान करते हैं
नवीन उड़ते पुलकित
पंखों का भी तू
कुछ सम्मान कर। 

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