स्मृति

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 214, अक्टूबर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

स्मृति के पथ पर
तुमको खोज पाना
थोड़ा कठिन था। 
 
फिर भी तुमको
खोज पाया मैं
स्वयं की
आत्म अनुभूति में। 
 
स्मृति के पथ पर
जो शेष रह गया था
वो सब
धुँधला-धुँधला सा ही था। 
 
फिर भी तुम को
खोज पाया मैं
स्वयं के आत्ममंथन में। 
 
स्मृति के पथ पर
तुमको भूल जाना नामुमकिन था
फिर भी भूल कर भी
न भूल पाया अंतर्मन में तुमको। 

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