हे! वाग्वादिनी माँ

01-03-2022

हे! वाग्वादिनी माँ

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 200, मार्च प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

हे! वाग्वादिनी माँ
हे! वाग्वादिनी माँ
तू हमें ज्ञान दे
तू हमें ध्यान दे। 
भटक रहे हम
जीवन पथ पर
आकर हमें तू अब थाम ले। 
 
तू ब्रह्मा की माया
तू ही महामाया
हम फँसे मोहजाल
आकर हमें तू अब निकाल ले। 
 
तू ज्ञान की मुद्रा
तू ध्यान की मुद्रा
हम गिरे अज्ञान में
आकर हमें तू अब ज्ञान दे। 
 
तू सुर की वन्दिता
तू ही सुरवासिनी
हम हो रहे बे-सुरे
आकर हमें तू सुर का ज्ञान दे। 
 
तू विद्या की धात्री
तू ही विद्युन्माला
हम धँस रहें अविद्या में
आकर हमें तू विद्या का वरदान दे।
 
हे! वाग्वादिनी माँ
हे! वाग्वादिनी माँ
तू हमें ज्ञान दे
तू हमें ध्यान दे। 

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