अक़्सर

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 204, मई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

इश्क़ की रातें
और इश्क़ की बातें
अक़्सर महँगी पड़ती है। 
 
ज़्यादा समझदारी और
लगी हुई इश्क़ बीमारी
अक़्सर महँगी पड़ती है। 
 
ग़ैरों के साथ यारी और
अपनों के साथ गद्दारी
अक़्सर महँगी पड़ती है। 
 
ज़रूरत से ज़्यादा समझदारी
और ग़ैरों से वफ़ादारी
अक़्सर महँगी पड़ती है। 

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