जागो

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 216, नवम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

जागो एक बार
अपनी अंतरात्मा की
आवाज़ के लिए। 
 
जागो एक बार
अपने हृदय में पनपती
अभिलाषाओं के लिए। 
 
जागो एक बार
अपने अंतर्मन में छिपी
सत्यनिष्ठा के लिए। 
 
जागो एक बार
अपनी स्वतंत्रता की
मर्यादा को
क़ायम रखने के लिए। 
 
जागो एक बार
स्वयं के अंतर्मन में छिपी
अंतरात्मा को
जगाने के लिए। 

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