जीवंत जीवन

01-12-2023

जीवंत जीवन

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 242, दिसंबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

बढ़ोगे जीवन में तो
उड़ते रहोगे
जीवंत पक्षी की तरह
नहीं तो टूट कर
बिखर जाओगी
किसी शाख़ के
मुर्झाये पते की तरह। 
 
जीवंत हो तो
जीना पड़ेगा
सूर्य चाँद की तरह
नहीं तो पड़े रहोगे
श्मशान की
जली बुझी हुई
राख की तरह। 
 
जीवंत हो तो
महकते रहोगे
किसी सुगंधित
फूलों की तरह
नहीं तो मुर्झा जाओगे
किसी टूटे बिखरे
फूल की तरह। 

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