अथाह अनुभूति

15-03-2023

अथाह अनुभूति

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 225, मार्च द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

हज़ारों तंत्र हो मुझ में
हज़ारों मंत्र हो मुझ में
मैं फिर भी लीन रहूँ तुझ में। 
 
न ज्ञान का अहंकार हो मुझ में
न आज्ञान का भंडार हो मुझ में
मैं फिर भी लीन रहूँ तुझ में। 
 
योग का भंडार हो मुझ में
तत्त्व का महाज्ञान हो मुझ में
मैं फिर भी लीन रहूँ तुझ में। 
 
न जीत का एहसास हो मुझ में
न हार का ह्रास हो मुझ में
मैं फिर भी लीन रहूँ तुझ में। 
 
न जीवन की चाह हो मुझ में
न मृत्यु की राह हो मुझ में
मैं फिर भी लीन रहूँ तुझ में।

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