आसार

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 215, अक्टूबर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

नफ़रत सोच समझ कर करना
मोहब्बत होने के
आसार होते हैं। 
 
बात सोच समझ कर करना
इश्क़ से सब
नासार होते हैं। 
 
दिल की बात सोच समझ कर करना
अपनों में भी कई
गद्दार होते हैं। 
 
हमराही को हमसफ़र 
सोच समझकर बनाना 
धोखा मिलने के
आसार होते हैं। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
नज़्म
बाल साहित्य कविता
सामाजिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में