आत्म भीति

01-06-2025

आत्म भीति

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 278, जून प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

कुछ लोग संतुष्ट हैं 
बस अपने ही अहम से 
न कि दूसरों की विनम्रता से। 
 
कुछ लोग डरते 
बस सुनी-अनसुनी बातों से
न कि दूसरों की हुकूमत से। 
 
कुछ लोग खोखले हैं 
बस अपने दर्प से 
न कि दूसरों की प्रभुता से। 
 
कुछ लोग ख़ौफ़ में है
बस अपनी आशंकाओं से
न कि दूसरों की आधिपत्य से। 
 
कुछ लोग आशंकित है
बस अपनी ही अवधारणाओं से 
न कि दूसरों की संकल्पनाओं से। 

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