समय

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 196, जनवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

मैं समय हूँ
कभी रुकता नहीं, 
कभी झुकता नहीं
कभी थकता भी नहीं, 
मैं अस्थिर हूँ
मगर निर्भीक हूँ। 
 
तुम रोते हो तो
रोते रहो, 
मुझे तुम्हारे आँसू को
पोंछने का भी वक़्त नहीं। 
 
तुम हँसते हो तो
हँसते रहो, 
मुझे तुम्हारे साथ
मुस्कुराने का भी वक़्त नहीं। 
 
मैं कभी रुका ही नहीं, 
न भगवान के लिए
न आम जन के लिए। 

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