आज़माइश

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 193, नवम्बर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

रास्ते में काँटे बहुत हैं
चलो थोड़ी सी
साफ़ सफ़ाई की जाए।
बहुत हो चुकी है मोहब्बत
चलो थोड़ी सी
नफ़रत कर,
सब की ज़रा
आज़माइश की जाए।
 
रास्ते में कहने को
अपने बहुत हैं,
चलो किसी अजनबी
पत्थर से टकराकर,
अपनों के बीच खड़े
परायों की ज़रा
आज़माइश की जाए।
 
रास्ते में दिखने को
आजकल
मोहब्बत बहुत है
चलो किसी एक
शख़्स से प्यार कर
इश्क़ की
आज़माइश की जाए।

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