आंतरिक ग़ुलाम

01-09-2024

आंतरिक ग़ुलाम

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 260, सितम्बर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

आज़ाद हुए हम गोरों से 
मगर अभी नहीं हुए औरों से। 
जीत चुके हैं हम औरों से 
मगर हारे हुए हैं 
अभी अपने विचारों से। 
छोटे को बड़ा, बड़े को छोटा
समझना अभी छोड़ा नहीं। 
जाति-पाति के कठोर नियमों से
मुख भी अभी मोड़ा नहीं। 
क्षितिज से आर जीवन से पार 
अभी कुछ देखा नहीं। 
धर्म कर्म के नाम पर शोषण 
अभी तक छोड़ा नहीं। 
जीवन के तराज़ू पर
 कभी ख़ुद को तोला नहीं। 
मोहब्बत के नाम पर जिस्म का शोषण 
अभी तक छोड़ा नहीं। 

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