मेरा मुर्शिद

15-12-2024

मेरा मुर्शिद

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 267, दिसंबर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

मेरी महफ़िल में अगर
तुम आओ तो
सारे शहर के ग़म ले आओ
उन ग़मों को
मेरे मुर्शिद की एक मुस्कुराहट से
घायल कर जाओ। 
 
मेरी महफ़िल में अगर
तुम आओ तो
सारे शहर के दर्द भरे अश्क ले आओ
उन अश्कों को
मेरे मुर्शिद की एक निगाह से
क़ायल कर जाओ। 
 
मेरी महफ़िल में अगर
तुम आओ तो
सारे शहर के ज़ख़्म ले आओ
उन ज़ख़्मों को
मेरे मुर्शिद के एक नाम से
भरकर चले जाओ। 

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