मेरे महाकाल

15-07-2022

मेरे महाकाल

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 209, जुलाई द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

मैं न जानूँ काल को, 
मैं जानूँ बस महाकाल। 
रिद्धि सिद्धि
मुझे न भाए
प्रेम, स्नेह और भक्ति
मुझे में वो सदा जगाये। 
हँसते खेलते
मुझे अपने गले लगाएँ। 
जान शिशु अपना
मुझे रिझाएं। 
अलख निरंजन बन
मुझे नाद सुनाएँ। 
चार वेदों का भी
मुझे ज्ञान करवाएँ। 
योग विद्या मुझे सिखाएँ, 
महाविद्याओं का भी
अभ्यास करवाएँ। 
पूर्ण परब्रह्म
मुझको ज्ञान कराएँ, 
तभी जग में महाकाल
जग्द्‌गुरु कहलवाएँ। 

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