अपराजित

01-11-2025

अपराजित

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 287, नवम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

मुझे दीवाना न समझना
मुझे इश्क़ का
परवाना न समझना, 
मैं रहता हूँ
अक्सर हृदय में तुम्हारे
मुझे आवारगी का
किनारा न समझना। 
 
मुझे बेगाना मत समझना
मुझे अपना भी
मत समझना
मैं रहता हूँ
अक्सर ख़ुदा की आवारगी में
मुझे यूँ ही
बेचारा मत समझना। 
 
मुझे हारा हुआ मत समझना
मुझे पराजय का 
सितारा मत समझना 
मैं रहता हूँ
अक्सर बड़ी जीत की तलाश में
मुझे यूँ दुनिया से हारा
मानव न समझना। 

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