विद्यालय स्मृति चिह्न

15-11-2025

विद्यालय स्मृति चिह्न

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 288, नवम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

दहलीज़ लाँघी जब विद्यालय की
तो याद आया 
जा चुके वक़्त में 
बच्चों का हँसना-मुस्कुराना, 
एक दूसरे से लड़ना 
और फिर गले से लग जाना। 
 
अध्यापक की ज़रा सी 
डाँट पर बच्चों का रूठ जाना
पहले नम आँखें कर 
फिर अश्रु बहाना। 
 
अध्यापक का ज़रा सा 
देखकर मुस्कुराना, 
फिर अपनी ममता की 
छाया में लेकर 
माँ की तरह चुप करवाना। 
 
मगर जब वक़्त ने अपनी
दहलीज़ लाँघी तो
अध्यापक ने कहा, 
“सामने जो बैठे थे कल 
मेरे वो बच्चे कहाँ?” 
विद्यालय के बाहर खड़े 
बच्चों ने कहा, 
“डाँटा कर भी जीवन का 
सही राह दिखाते
मेरे वो अध्यापक कहाँ हैं?” 

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