आनंद अनुभूति

15-08-2025

आनंद अनुभूति

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 282, अगस्त प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

मृत्यु योग बनता रहा
पर मेरे महाकाल
काल का भक्षण करते रहे। 
 
शत्रु योग बनता रहा
पर मेरी माँ काली
शत्रुओं का रक्त पान करती रही। 
 
भयभीत करने का प्रयास
लोग करते रहे
मगर मेरे कालभैरव
भय के साथ भयाकारक का भी
भयानक विनाश करते रहे। 
 
दुरात्मा योग बनता रहा
पर मेरे सदाशिव
ज्ञानामृत देकर पापयुक्त करते रहे। 
 
वियोग का योग बनता रहा
पर मेरी माँ काली का
ममतामई स्पर्श आनंदमय करता रहा। 

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