हुस्न-ए-जलवा

15-11-2023

हुस्न-ए-जलवा

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 241, नवम्बर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

बिकती हैं जब निगाहें तेरी
तो झुकता है
शहर सारा,
फिरता हूँ जब ग़म-ए-आरज़ू लिए
तो बहता है
मेरा दर्द सारा,
चलता है जब हुस्न-ए-बाजार
मचलता देख
शहर सारा,
मुस्काती जब आँखें तेरी क़ातिली
तो धड़कता है
हर दिल प्यार,
उड़ती जुल्फें जब तेरी मटकती
बहता देख
आशिक़ हर आवारा।

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