आक्रोश

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 220, जनवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

मुझे आक्रोश है आज भी
उन लोगों से जिन्होंने
मेरा साथ तब छोड़ा
जब मुझे सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी। 
 
मुझे आक्रोश है आज भी
उन लोगों से जिन्होंने
मेरी मोहब्बत को तब ठुकरया
जब मुझे किसी के प्यार की ज़रूरत थी। 
 
मुझे आक्रोश है आज भी
उन लोगों से 
जिन्होंने अपना बनाकर
मुझे गले तो लगाया पर
मेरी पीठ पीछे ख़ंजर भी चुभाया। 
 
मुझे आक्रोश है आज भी
उन लोगों से जिन्होंने
मुझसे अपना मतलब निकाला
मगर मेरी ज़रूरत के समय
मुझे ठुकराया। 

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