मैं समय हूँ 

01-02-2020

मैं समय हूँ 

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 149, फरवरी प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

मैं समय हूँ 
फिर लौट कर आऊँगा 
सब ग़मों को चीरकर 
और ख़ामोशी से सबको 
चुप करवा जाऊँगा।


मैं समय हूँ
सब जानता हूँ 
इसीलिए घबराता नहीं 
चुपचाप सुनता हूँ 
किसी को सुनाता नहीं। 


मैं समय हूँ 
बीत कर भी मैं 
फिर वापस भी आ जाता हूँ 
और जब आता हूँ
तो सब कुछ 
अच्छा बुरा दिखा जाता हूँ। 


मैं समय हूँ
कभी रुकता नहीं 
थकता भी नहीं 
फिर भी सब कुछ 
बदल देता हूँ
अपने आग़ोश में। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
किशोर साहित्य कविता
नज़्म
बाल साहित्य कविता
सामाजिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में