गुनाह

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 233, जुलाई द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

कभी हमने भी
मोहब्बत का गुनाह किया था। 
तुमसे मिलकर हमने
ख़ुद को ख़ुद से
जुदा किया था। 
 
हर पल देखते थे तुमको
सोचते थे तुमको
इश्क़ में तुम्हारे हमने
अपने मस्तिष्क को भी
फ़िदा किया था। 
 
कभी हमें भी
किसी की दिलकश
अदाओं ने घायल किया था। 
कभी हमें भी
किसी की मुस्कुराहट भरी
आँखों ने कायल किया था। 

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