कुछ इस तरह

15-08-2021

कुछ इस तरह

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 187, अगस्त द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

हम बिखरेंगे
कुछ इस तरह
कि तुम सँभाल भी न पाओगे।
हम टूटेंगे
कुछ इस तरह
तुम जोड़ भी न पाओगे।
हम लिखेंगे
कुछ इस तरह
कि तुम समझ भी न पाओगे।
हम सुनाएँगे दास्तां
कुछ इस तरह
कि तुम कुछ कह कर भी
न कह पाओगे।
हम जाएँगे इस जहां से
कुछ इस तरह
कि तुम्हारे बुलाने पर भी
कभी लौटकर न आएँगे।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
नज़्म
बाल साहित्य कविता
सामाजिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में