माँ का आँचल

01-04-2023

माँ का आँचल

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 226, अप्रैल प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

माँ! ममतामय आँचल में
फिर से मुझे छुपा लो
बहुत डर लगता है मुझे
दुनिया के घने अंधकार में। 
माँ! फिर से अपने प्यार भरे
अहसासों के दीप
मुझ में आकर जला दो। 
 माँ! खो न जाऊँ कहीं
दुनिया की इस भीड़ में
माँ! फिर से हाथ थाम मेरा
क़दम से क़दम मिला
मुझे चलना सीखा दो। 
माँ! डरा सहमा सा रहता हूँ
मतबलख़ोर लोगों की भीड़ में
माँ! अपना ममतामय आँचल
उड़ा मुझे फिर से अपनी
प्यार भरी लोरी गा सुला दो। 

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