दस्तूर

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 247, फरवरी द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

बहता है दर्द तो
लफ़्ज़ों में पिरो दो
झरता है इश्क़ तो 
अल्फ़ाज़ों में बटोर लो। 
 
मिलता नहीं कोई
शख़्स इश्क़ करने को 
तो ख़्वाबों में
किसी से इज़हार कर दो। 
 
मिलता नहीं कोई अपना
हाल-ए-दिल बतलाने को 
तो परायों से थोड़ी 
गुफ़्तुगू कर लो। 
 
करता नहीं कोई वाह
बेहतरीन कार्य करने पर
तो ख़ुद ही आह को 
वाह बना लो। 

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