ख़्वाहिश

01-08-2023

ख़्वाहिश

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 234, अगस्त प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

मैं करूँ ख़्वाहिश आज की
मिल जाए मुहब्बत, 
मुझे आपकी। 
 
मैं करूँ ख़्वाहिश आराम की
मिल जाए ज़िन्दगी, 
मुझे किसी काम की। 
 
मैं करूँ ख़्वाहिश राम की
मिल जाए मुहब्बत, 
मुझे राधे-श्याम की। 
 
मैं करूँ ख़्वाहिश रात की
मिल जाए तन्हाई, 
मुझे शाम की। 
 
मैं करूँ ख़्वाहिश ज्ञान की
मिल जाए सिद्धि, 
मुझे महाज्ञान की। 

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