नई दिशा
राजीव डोगरा ’विमल’
मन्नत एक सीधी सादी और घर की इकलौती बेटी थी। हर काम करने में सबसे आगे रहती थी बस दूसरों के आगे बात करने में उसको हिचकिचाहट होती थी और अक्सर ज़्यादा लोगों को देखकर वो घबरा जाती थी।
इस बार गाँव में बने नए विद्यालय का उद्घाटन होना था। जिसमें प्रदेश के शिक्षा मंत्री मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हो रहे थे। मन्नत के पिता गाँव के सरपंच थे इसलिए कार्यक्रम का सारा भार उसके पिता पर था और वो पिता का हर काम में हाथ बँटा रही थी।
आयोजन का दिन आया सभी बहुत ख़ुश थे क्योंकि शिक्षा मंत्री स्वयं पहली बार उनके गाँव में आ रहे थे मगर कार्यक्रम के आरंभ में ही बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई क्योंकि जिस मंच संचालक को बुलाया गया था, वो किसी कारण नहीं आ रहा था और उधर मंत्री जी के आने का समय भी हो रहा था।
मन्नत के पिता ने गाँव के सभी लोगों से बात की मगर कोई भी मंच संचालन करने को तैयार नहीं हो रहा था। अपने पिता का उदास और उतरा हुआ चेहरा देखकर आख़िर मन्नत ने पिता से कहा, “पिताजी परेशान मत होइए अगर कोई भी व्यक्ति तैयार नहीं हो रहा तो मैं इस कार्य को स्वयं करने की कोशिश करूँगी।”
पिता ने कहा, “मगर मन्नत बेटा तुम्हें तो लोगों को देखकर घबराहट होती है।”
मन्नत ने कहा, “पिताजी मेरी घबराहट से बड़ी गाँव की और आपकी प्रतिष्ठा है जिसको मैं कभी ख़राब नहीं होने दूँगी।”
इतना बोलकर मन्नत मंच पर जा पहुँची और उसी समय मंत्री जी भी कार्यक्रम में पहुँच गए। मन्नत ने बड़े अच्छे से मंच का संचालन किया और लोगों की ख़ूब वाह-वाही बटोरी। स्वयं मंत्री जी ने भी मन्नत की बड़ी तारीफ़ की। इसके बाद मन्नत को नई दिशा मिल गई क्योंकि उसके मंच संचालन की ख़बर और वीडियो सोशल मीडिया पर छा गई।
अब कहीं भी कोई कार्यक्रम होता तो मन्नत को मंच संचालन के लिए आवश्यक बुलाया जाता और अब मन्नत एक सफल मंच संचालिका बन चुकी थी।
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- कविता
-
- अंतिम छाया
- अंतिम राह
- अकेलापन
- अघोरी हूँ
- अट्टहास
- अतिरिक्त
- अथाह अनुभूति
- अनंत सनातन
- अनदेखे अनसुने
- अनुभूति
- अभी
- अमूक कविता
- अलख निरंजन
- असहजता
- अस्तित्व
- अक़्सर
- आंतरिक ग़ुलाम
- आंतरिक गुनाहगार
- आंतरिक दर्द
- आक्रोश
- आग़ाज़
- आजीवन
- आत्म भीति
- आदत है अब
- आधुनिक घुसपैठिए
- आधुनिक मुखौटा
- आधुनिक व्यक्तित्व
- आनंद अनुभूति
- आनंदमयी
- आम सी लड़की
- आसार
- आस्तीन के साँप
- आज़माइश
- आज़माइश-2
- आज़ाद पुरुष
- इंतज़ार
- इंसाफ़
- ईश्वर की आवाज़
- उड़ने दो
- उड़ान
- उड़ूँगा
- एक दिन
- एक नई दीपावली
- एक पत्र ईश्वर के नाम
- एहसास
- ऐयाश मुर्दो
- काल
- काव्य प्रेम
- काश (राजीव डोगरा ’विमल’)
- किसी ओर से
- कुछ इस तरह
- कुछ तो हो
- कुछ भी नहीं
- कुवलय
- कृष्ण अर्जुन
- कृष्ण पथ
- कोई पता नहीं
- कोई फ़र्क़ नहीं
- कौन सा वक़्त
- क्या कहूँ
- क्या?
- क्षितिज
- ख़्वाहिश
- खोज
- गर्माहट
- गुनाह
- गुनाह मोहब्बत का
- गुरु प्यारा
- चतुरंग
- चलो केशव
- चहुँ ओर
- जगदंबा स्तुति
- जागो
- जान लिया
- जाने क्यों (राजीव डोगरा ’विमल’)
- जीना सीखो
- जीवंत जीवन
- जीवंत पंथ
- जीवन क्रीड़ा
- जीवन पथ
- जीवन-मृत्यु
- झूठी यारी
- तलब
- तांडव
- तुम मुझ में
- तुम में हम
- तुमने कोशिश की
- तुम्हारे साथ
- तेरा सानिध्य
- तेरी तलाश में
- दर्द की सज़ा
- दस्तूर
- दिल की गहराई
- दिव्य दृष्टि
- दीप
- दीप
- दृढ़ता की दौड़
- दोस्ती
- दोस्ती का रंग
- दौर
- नई मोहब्बत
- नए साल
- नया वर्ष
- नया साल
- नादान जीवन
- नापाक दर्द
- नासूर
- पथिक
- परवाह छोड़ दो
- पहले
- पिंजरे में बंद मानव
- पीड़ा
- पुनःस्मृति
- प्रलय
- प्रेम
- फिर से
- बचपन की कहानी
- बताओ ज़रा
- बदलता हुआ वक़्त
- बदलते इंसान
- बदलते जज़्बात
- बदलते रंग
- बदलाव – 1
- बदलाव – 2
- बदलाव – 3
- बदलियां गल्लां
- बरसो न बादल
- बाक़ी है
- बेईमान व्यक्तित्व
- बेचारा आवारा
- भगवती वंदना
- भीतर
- भूतकाल
- भेड़िये
- भौतिक सत्ता
- मत वहन करो
- मतलबी
- मननशील
- मननशील
- महाकाल
- महाकाल आदेश
- महादानव
- माँ का आँचल
- माँ काली
- मावठा
- मिथ्या आवरण
- मिथ्या फड़फड़ाहट
- मुश्किल
- मृत्यु
- मृत्यु का अघोष
- मृत्यु का अट्टहास
- मेरा बचपन
- मेरा ज़माना
- मेरे प्रभु
- मेरे महाकाल
- मेरे माधव
- मेरे शहर में
- मैं कहाँ?
- मैं शनि हूँ
- मैं समय हूँ
- याद रखना
- यादों के संग
- रंग राहु
- रणचंडी
- रहने दो
- रहने दो –01
- राम
- लौट आना
- वजह
- वजह
- वजूद
- वहम
- वास्तविक रहस्य
- विद्यालय स्मृति
- वो लड़की हूँ
- व्यक्तित्व का डर
- वक़्त का पहिया
- वक़्त कहाँ
- शान्ति नववर्ष
- शेष है
- श्री सिद्धिविनायक स्तुति
- सँभाल लेना
- संस्कार
- सदाशिव
- सन्नाटा
- समय
- समय का बदलाव
- सम्मान
- सर्वविद
- सर्वस्व
- सामंजस्य
- सामना
- सिलसिला
- सुंदरतम
- स्नेहपाश
- स्मृति
- स्वतंत्रता
- स्वयं
- हर बार
- हिंदी का गुणगान
- हिंदी का गुणगान
- हिमाचल गान
- हे! ईश्वर
- हे! वाग्वादिनी माँ
- ख़ुदा करे
- ख़ुदग़र्ज़ी
- ख़्वाहिश
- ज़िंदादिल इंसान
- ज़िद्दी व्यक्तित्व
- फ़र्क़
- किशोर साहित्य कहानी
- नज़्म
- बाल साहित्य कविता
- लघुकथा
- किशोर साहित्य कविता
- सामाजिक आलेख
- विडियो
-
- ऑडियो
-