माँ काली

01-06-2023

माँ काली

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 230, जून प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

कभी हँसा देती है
कभी रुला देती है
माँ है मेरी काली
जो ख़ुद से ही
मोहब्बत करवा देती है। 
 
कभी जीवन जीना सिखा देती है
कभी मेरे गुनाहों को दफ़ना देती है
माँ है मेरी काली
जो क़ाबिल-ए-तारीफ़ 
शख़्स मुझे बना देती है। 
 
कभी आदि से अंत तक ले जाती है
कभी अंतिम चरण में भी
नया आरंभ कर देती है
माँ है मेरी काली
जो हर संकट में मुझे
अपनी गोद में उठा लेती है। 
 
कभी धर्म का राह दिखा देती है
कभी कर्म को ही धर्म बना देती है
माँ है मेरी काली
जो नादान बालक समझकर
मेरे हर गुनाह को भुलाकर
सीने से मुझे अपने लगा लेती है। 

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