अटकाव

01-04-2024

अटकाव

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 250, अप्रैल प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

तावीज़ तब ही काम आते हैं
जब बोलने की तमीज़ हो। 
वक़्त तब ही काम आता है 
जब वक़्त की क़द्र की हो। 
अज़ीज़ तब ही काम आते हैं 
जब उनसे तहज़ीब हो। 
भक्ति तब ही काम आती है
जब उसमें शक्ति जगाई हो। 
अपने तब ही काम आते हैं
जब उनसे अपनापन रखा हो। 
इंसान तब ही काम आते हैं
जब उनमें इंसानियत बची हो। 
दिल्लगी तब ही काम आती है
जब दिलदार अपना हो। 

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