सर्वस्व 

15-03-2025

सर्वस्व 

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 273, मार्च द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

तंत्र भी तेरा मंत्र भी तेरा 
रहता मन जिसमें 
वो कंकाल तंत्र भी तेरा। 
 
ऋद्धि भी तेरी सिद्ध भी तेरी 
मेरे शरीर में होती 
नित्य वृद्धि भी तेरी। 
 
काल भी तेरा महाकाल भी तेरा 
मेरी काया में बहता 
अंतिम श्वास भी तेरा। 
 
स्वर्ग भी तेरा नर्क भी तेरा 
सुषुम्ना में बहता 
मोक्ष का द्वारा भी तेरा। 
 
माया भी तेरी महामाया भी तेरी
इस धरा पर पड़ती 
मेरी छाया भी तेरी। 

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