मेरा ज़माना

15-02-2024

मेरा ज़माना

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 247, फरवरी द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

मुझे वो पगडंडियों
अब दिखती नहीं
जिन पर मैं चला करता था। 
 
मुझे वो आम के बाग़ 
अब नहीं मिलते
जिन्हें देख नन्हे फूल मचलते थे। 
 
मुझे वो नदियाँ
अब नहीं मिलती
जिनमें बाल-गोपाल नहाया करते थे। 
 
मुझे वो सुकून की नींद
अब नहीं मिलती
जो माँ की गोद में आया करती थी। 

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