अजनबी तन्हाई

15-10-2025

अजनबी तन्हाई

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 286, अक्टूबर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

कौन सा दर्द
अपने सीने में छुपाए रखते हो? 
मुस्कुराहट के पीछे
कौन सा ग़म
अपने हृदय में दबाए रखते हो? 
 
कहते हो तुम
लोगों से अक्सर
कि मुझे कोई ग़म नहीं? 
फिर इस
तन्हाई के आलम में
किस से गुफ़्तुगू का
माहौल बनाए रखते हो? 
 
सुना है लोगों से
कि तुम बहुत
बातें करते हो
पर आता है नाम मेरा तो
क्यों अपने लबों पर ख़ामोशी
और आँखों में मुस्कुराहट रखते हो? 

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