जगदंबा स्तुति

15-10-2024

जगदंबा स्तुति

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 263, अक्टूबर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

सदा प्रसन्ना माँ जगदंबा
मम हृदय तुम वास करो। 
लेकर खड़ग त्रिशूल हाथ में 
मम शत्रुदल संहार करो। 
 
चंड-मुंड के मुंड धारण कर्ता 
मम संकट का भी हरण करो। 
तंत्र विद्या की प्रारंभा देवी 
शत्रु तंत्र मंत्र यंत्र का शमन करो। 
 
चौसठ योगिनी संगी कर्ता 
मम योग विद्या उत्थान करो। 
रक्तबीज का रक्त पान कर्ता
मम शत्रुदल रुधिर पान करो। 
 
भैरव के संग नृत्य कर्ता
मम शत्रुदल अट्टहास कर ध्वंस करो। 
जय जय जय माँ जगदंबा काली
मम शत्रुदल अट्टहास कर ध्वंस करो। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
नज़्म
बाल साहित्य कविता
सामाजिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में