प्रेम

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 213, सितम्बर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

प्रेम उम्र नहीं
एहसास देखता है। 
 
प्रेम लगाव नहीं
तड़प देखता है। 
 
प्रेम मुस्कुराहट नहीं
आँखों में बहते
अश्क देखता है। 
 
प्रेम हमउम्र नहीं
हमराही देखता है। 
 
प्रेम बहस नहीं
झुकाव देखता है। 
 
प्रेम बहता हुआ पानी नहीं
जलती हुई आग देखता है। 
 
प्रेम हृदय का रूप नहीं
चेहरे का महकता
स्वरूप देखता है। 

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