काव्य प्रेम

01-07-2024

काव्य प्रेम

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 256, जुलाई प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

कब किताबों के पन्नों से
प्यार हो गया
पता ही न चला। 
 
कब अल्फाज़ का
अल्फ़ाज़ से इकरार हो गया
पता ही न चला। 
 
कब शब्दों को
मात्राओं से नूरी इश्क़ हो गया
पता ही न चला। 
 
कब प्रकृति का
मानव से आलिंगन हो गया
पता ही न चला। 
 
कब हिंदी की बिंदी ने
प्रेम की अनुभूति करवा दी
पता ही न चला। 

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