नादान जीवन

15-09-2022

नादान जीवन

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 213, सितम्बर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

कुछ नादानियाँ 
कुछ अठखेलियाँ 
बाक़ी हैं मुझ में। 
क्षण-क्षण घूमती 
मृत्यु के बीच में 
जीवंत जीवन 
बाक़ी है मुझ में। 
 
झूठ के चलते बवंडर में
सत्य का 
जलता हुआ दीपक
बाक़ी है मुझ में। 
जीवन मृत्यु के बोध में 
हे! ईश्वर तेरा ध्यान 
बाक़ी है मुझ में। 

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