भौतिक सत्ता

01-10-2024

भौतिक सत्ता

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 262, अक्टूबर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

ज़िन्दगी जोंक सी
रक्त पान कर रही है। 
मौत के नगर में
ज़िन्दगी से खिलवाड़ कर रही है। 
 
काले उजले दिन में
देश का गणतंत्र
सूखे पत्ते की तरह
ठिठुर कर अस्फुट हो
शिकायत कर रहा है। 
 
भौतिकता का कंकाल
महानगर की दहलीज़ लाँघकर
विक्षुब्ध कर सब को
महाविनाश कर रहा है। 
 
देश की राजसत्ता
पंख उखाड़ कर मध्य वर्ग के
जनसत्ता के नाम पर 
रंगमहल का चुनाव कर रही है। 

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