बदलाव – 3

15-06-2024

बदलाव – 3

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 255, जून द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

बरसती बारिश की तरह
बरस मत जाना। 
 
रंगों के साथ खेलते हुए
मोहब्बत के रंग
रँग मत जाना। 
 
जिस्म की चाहत में
रूह से मोहब्बत
कर न बैठना। 
 
दिल्लगी करते-करते
कहीं दिलदार
बन न बैठना। 
 
आबाद करते हुए
लोगों को इश्क़ में
ख़ुद महोब्बत में
बर्बाद न हो जाना। 

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