बरसो न बादल 

01-06-2024

बरसो न बादल 

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 254, जून प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

घनघोर बादल 
कहाँ हो? 
मानव दानव के लिए न सही
पर इस धारा के लिए सही 
सब की प्यास 
बुझा दो। 
 
तप्त ऊष्मा से
मुरझा रही जो 
प्रकृति रूपसी 
उसको ज़रा
अपने शीतल स्पर्श से 
सहला दो। 
 
जीव जंतुओं के 
सूख रहे जो कंठ
सूर्य की तप्त किरणों से 
उनको ज़रा 
अपने नभ के 
शीतल जल से 
तृप्त कर दो। 

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