हिमाचल गान

15-12-2023

हिमाचल गान

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 243, दिसंबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

उच्च हिमालय बहती नदियाँ
कल कल करती
झरनों की आवाज़ें
फैली हरियाली, सुगंधित सुमन
महके समीर, बहकी कलियाँ
ऐसी गोद हिमाचल की
जय जय जय हिमाचल की। 
 
ऊँचे वृक्ष, नीची नदियाँ
कर्कश करती चट्टानें
चहकते पक्षी, महकती फ़सलें
सरसराहट करता पानी
गरजते बादल, बरसते घन
ऐसी गोद हिमाचल की
जय जय जय हिमाचल की। 
 
बाल ग्वाल, लाल गाल
मदमस्त धूप, अनंत गगन
मीठी बातें, ठंडी रातें
धौलाधार की शृंखलाएँ
देवों की भूमि, सनातन की आन
ऐसी गोद हिमाचल की
जय जय जय हिमाचल की। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
नज़्म
बाल साहित्य कविता
सामाजिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में