अधूरा सफ़र

01-03-2025

अधूरा सफ़र

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 272, मार्च प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

अधूरे सफ़र की 
अधूरी कहानी लिख रहा हूँ 
मोहब्बत तो कभी मिली नहीं
ग़म की दास्तान लिख रहा हूँ। 
 
जीवन सफ़र में मिलते रहे 
जाने पहचाने चेहरे 
मगर हमराही कोई 
मिलकर भी मिला नहीं। 
 
सोचा था हमराही को
हमसफ़र बनाकर 
सुनाऊँगा अपनी
हर दास्तां-ए-ग़म सारी। 
 
मगर वक़्त के तराजू पर 
हमराही हमसफ़र के
 मुक़ाम पर 
कभी पहुँचा ही नहीं। 

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