जय हिंद

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 278, जून प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

जय हिंद, जय हिंद के नारे
अब लगाते जाओ। 
भारत माता के नाम का डंका
अब बजाते जाओ। 
 
लेकर हाथ में तलवार
दुश्मन का सिर क़लम
अब करते जाओ। जय हिंद . . .

जो डालते हैं गंदी नज़रें
हमारी भारत माता पर
उनकी आँखों को ले शूल
अब फोड़ते जाओ। जय हिंद . . .
 
जो मचाते हैं नित आंतक
बन सिंह उनकी अँतड़ियों को
पंजे से फाड़ते जाओ। जय हिंद . . .
 
जो सोचते हैं हिंद के सैनिक
कुछ कर नहीं सकते
तोपों से उनके मुँह
अब बंद करते जाओ। जय हिंद . . .

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