फ़र्क़

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 245, जनवरी द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

ज़मीन और आसमान में
फ़र्क़ होता है। 
झूठ और सच में
फ़र्क़ होता है। 
मोहब्बत और नफ़रत में
फ़र्क़ होता है। 
अपने और पराये में
फ़र्क़ होता है। 
जीत और हार में
फ़र्क़ होता है। 
दिमाग़ और दिल में
फ़र्क़ होता है। 
जायज़ और नाजायज़ में
फ़र्क़ होता है। 
हक़ीक़त और कल्पना में
फ़र्क़ होता है। 
गुरु और शिष्य में
फ़र्क़ होता है। 
जीवन और मृत्यु में
फ़र्क़ होता। 
आदि और अंत में
फ़र्क़ होता है। 

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