अमूक कविता

01-10-2023

अमूक कविता

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 238, अक्टूबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

कविता . . . 
कितनी क्यों मौन हो
क्या आती नहीं अभिव्यक्ति? 
या फिर जाती नहीं
अब भी अहम भक्ति? 
 
छोड़ दो न छंदों अलंकारों को
कम से कम करो न
आत्म अभिव्यक्ति। 
या फिर जाती नहीं
अब भी शकी अभिव्यक्ति? 
 
हिंदू हिंदुस्तान की शान है
थोड़ा तो सम्मान रख लो
आता नहीं रस तो
भाव ही अभिव्यक्त कर लो
या फिर आती नहीं
भाव की अभिव्यक्ति भी? 

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