अभी

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 224, मार्च प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

बिखर चुका है बहुत कुछ
मगर कुछ यादें
समेटना बाक़ी है अभी। 
 
बहुत ग़म है ज़िन्दगी में
मगर चेहरे पर
मुस्कुराहट बाक़ी है अभी। 
 
ख़त्म हो चला है भले
जीवन का सफ़र
मगर फिर भी
कुछ करने के इरादे
बाक़ी हैं अभी। 
 
बहुत जान चुका हूँ
जीवन-मृत्यु का भेद
बस ख़ुद को
जाना-पहचाना
बाक़ी है अभी। 

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