जाने क्यों (राजीव डोगरा ’विमल’)

15-11-2020

जाने क्यों (राजीव डोगरा ’विमल’)

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 169, नवम्बर द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

न जाने क्यों
खो सा गया है कहीं
मेरा मन।
 
न जाने क्यों
मिट्टी सा हो गया है
मेरा तन।
 
न जाने क्यों
टूट गया है,
उनकी याद में
हृदय का हर एक कण।
 
न जाने क्यों
बिखर गए है,
हर ख़्वाब मेरे
फ़िक्र में उनकी हरदम।

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