पल-पल का पूछते हिसाब

01-02-2025

पल-पल का पूछते हिसाब

मधु शर्मा (अंक: 270, फरवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

बहर:  बहर-ए-हिन्दी मुतकारिब मुरब्बा मुज़ाफ़
अरकान:  फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़े
तक़्तीअ:  22    22    22    2
 
पल-पल का पूछते हिसाब
मिला भलाई का ये सवाब
 
उठ रहे कैसे-कैसे सवाल
ढूँढ़ के लाऊँ कहाँ से जवाब
 
खुली पड़ी है दिल की किताब
पढ़ लें पन्ना-पन्ना जनाब
 
घुटन से बाहर निकलने को
ओढ़ लिया है हमने नक़ाब
 
होते हैं हाथ ज़ख़्मी 'मधु'
माली चुनता है जब गुलाब

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